देश में जब सूखे की समस्या विकराल रूप लेती जा रही है, ऐसे मौके पर भारत के वैज्ञानिकों ने इसके इलाज का रामबाण ढूंढ लिया है। भाभा एटोमिक रिसर्च सेंटर के वैज्ञानिकों ने पानी के शुद्धीकरण का एक आसान और बेहद ही किफायती तरीका ढ़ूंढ लिया है। यह मिनटों में नमकीन समुद्री पानी को शुद्ध कर सकता है। अब आने वाले समय में भारत के किसी भी शहर या गांव में पीने के पानी की कमी नहीं होगी। अब भारतीय वैज्ञानिको ने भी समुद्र के खारे पानी को पीने योग्य बनाने की तकनीक खोज कर उस पर काम भी शुरू कर दिया है। वर्तमान में समुद्र से कई मिलियन लीटर पानी बनाकर सप्लाई करना शुरू भी हो चुका है। यहां बनाया जा रहा समुद्र से पीने का पानी – फिलहाल एक पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर तमिलनाडु में पहले से ही यह प्रोजेक्ट चल रहा है जिसके तहत 6.3 मिलियन लीटर समुद्री पानी का शुद्धिकरण करके उन्हे कंडकुलम परमाणु प्लांट में इस्तेमाल किया जा रहा है। इस प्लांट को भाभा अटॉमिक रिसर्च सेंटर (बार्क) के वैज्ञानिकों द्वारा स्थापित किया गया है। यहां पर रोजाना 63.3 मिलियन लीटर पीने योग्य पानी बनाकर कुडनकुलम परमाणु रिएक्टर में सप्लाई किया जा रहा है। हालांकि, यह पानी पीने योग्य है लेकिन तब भी इसे लोगों को इस्तेमाल करने के लिए अभी नहीं दिया जा रहा है। बीएआरसी के डायरेक्टर ने बताया कि हमने कई ऐसे मेंमब्रेन्स विकसित किए हैं जो अर्सेनिक या यूरेनियम से प्रदूषित हुए पानी को साफ कर उसे पीने लायक बना सकता है।
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